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Virtual Memory ( Hindi Version )

 


    आज हम अपनी इस पोस्ट में Virtual Memory के वारे ने बात करेंगे।  जैसे के आज के समय में ज्यादातर लोग computer user हैं।  अगर आप भी एक कंप्यूटर यूजर हैं तो आपने Virtual Memory का नाम तो सुना ही होगा और शायद आपको इसके वारे में basic जानकारी भी हो।  अगर आपको इसके वारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आज हम आपको इसके वारे में हमारे इस Technology Topic में पूरी जानकारी देंगे।  तो चलिए अज्ज का Virtual Memory टॉपिक को आगे बढ़ाते हैं।

 Virtual Memory के नाम से ही पता चलता है के यह कोई physical RAM नहीं होती।  इसको बीएस Secondary Memory की कुछ Space को Main मेमोरी की तरह ही इस्तेमाल किया जाता है जो के हमारे कंप्यूटर की RAM को support करता है। Virtual Memory को ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही Manage किया जाता है।  Virtual Memory concept को समझने से पहले हम RAM के वारे में जान लेते हैं क्यों के RAM को जाने बिना Virtual Memory को समझ पाना मुश्किल है।

RAM

RAM को Random Access Memory कहा जाता है जो के आपके कंप्यूटर की एक physical मेमोरी होती है।  जब भी हम अपने कॉम्पटर पर काम क्र रहे होतें हैं उस समय जो भी software , program open होतें हैं वो RAM में ही load होतें हैं।  हम जब भी अपना कंप्यूटर on करते हैं तो सबसे पहले BOOT प्रोसेसिंग होती है। इसी समय ऑपरेटिंग सिस्टम को सेकेंडरी मेमोरी जिसमे के operating सिस्टम install होता है उस में से ऑपरेटिंग सिस्टम की कुछ फाइल्स लेकर RAM पर लोड किया जाता है।  

        RAM पर फाइल्स के लोड होने के बाद हमे Desktop स्क्रीन दिखाई देती है। और कंप्यूटर start होने के बाद जितने भी प्रोग्राम और फाइल्स होती हैं वो साड़ी RAM पर ही लोड होती हैं और यह तब तक RAM में लोड रहती हैं जब तक हम program को close नहीं कर देते।

        अगर हमारे कंप्यूटर की RAM फुल हो जाये तो हमारा कंप्यूटर Hang होसकता है जा फिर कोई भी प्रोग्राम अपने आप क्लोज हो सकता है। या फिर आपका ऑपरेटिंग सिस्टम क्रैश हो सकता है। इन्ही सब problems से बचने के लिए Virtual Memory का अविष्कार किया गया।

        Window में इसको Page file से जाना जाता है जब के Linux में इसको Swap Partition के नाम से जाना जाता है , Mac में इसको Virtual Memory के नाम से जाना जाता है।  इस तरह अलग अलग ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए इसका नाम भी अलग अलग होता है।

        अब अगर Virtual memory के साइज की बात करें window में इसका साइज RAM से दुगुना Allot किया जाता है लेकिन इसका साइज काम ज्यादा होता रहता है।

अब हम बात करते हैं के Virtual memory काम कैसे करती है



    असल में जब भी हम अपने कंप्यूटर पर काम क्र रहे होतें हे और साथ ही बहुत सारे program और फाइल्स जा कोई अन्य application open किये होतें हैं तो जिस screen जा program पर हम काम कर रहे होतें हैं सिर्फ वही प्रोग्राम RAM पर load होता है और बाकि के प्रोग्राम जो minimize होतें हैं वह ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा उसकी पेज फाइल बनाकर उस page File की set location पर भेज दिया जाता है यह इस लिए होता है के RAM में हमेशा space खली रह सके और आप और भी प्रोग्राम जा फाइल को open कर सके और run करवा सकें। इसके बाद आप जब भी minimize File को active करते हैं तो यह दुबारा से RAM में load हो जाता है। 

 

अब काफी हद तक आप Virtual memory को समझ गए होंगे। 

    उम्मीद है के आपको हमारा आज का यह टेक्नोलॉजी टॉपिक पसंद आया होगा।  अगर आपको किसी तरह का कोई भी सवाल पूछना है तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हो।  या फिर आपको अपने किसी पसंदीदा टेक्नोलॉजी टॉपिक के वारे में जानकारी लेनी है तो हमे कमेंट बॉक्स में उस टॉपिक का नाम mention करें।  हम जल्द ही आपका टॉपिक अपलोड करेंगे।

हमारे ब्लॉग के साथ जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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