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Disk Defragment (Hindi Version)

        


अगर
आप एक computer यूजर हैं तो आपने Disk Defragmentation का नाम तो सुना ही होगा।  अगर तो आपको इसके वारे में जानकारी है फिर तो बहुत अच्छी बात है अगर आपको इसके वारे में जानकारी नहीं है तो आज आपको इस टॉपिक में हम इसी Disk Defragmentation के वारे में बताने जा रहे हैं।

 

    Disk Defragmentation क्या होता है इसको हम थोड़ा विस्तार से जान लेते हैं 

           इसको एक उदाहरण के साथ समझते हैं मान लो आपके कमरे में आपकी किताबे इधर उधर बिखरी पड़ी हैं और आप ने अपनी किताबो को अच्छे से एक लाइन में अपने कमरे की shelf  पर set कर के रखा दिया है मतलब आप ने इधर उधर बिखरी किताबों को एक जग्य पर अच्छे से सही कर के रख दिया।

      बिलकुल वैसे ही आपके कंप्यूटर में जो डाटा इधर उधर बिखरा पड़ा होता है उस डाटा को एक सही कर्म में लगाने को Disk Defragmentation कहा जाता है।  और बिखरे पड़े हुए डाटा को fragmented कहतें हैं।

 

      इसको और अच्छे से समझने के लिए हमे सबसे पहले डाटा Defragmentation को समझते हैं :-



        किसी particular को hard disk में छोटे छोटे भागों में बाँटने को डाटा Defragmentation कहते हैं। कंप्यूटर का hard disk कई parts को मिलकर बनाया गया है और इन सभी parts में से हमारे डाटा को जिस part में रखा जाता है उसको disk कहतें हैं   इसको Platter भी कहा जाता है। जो के एक moveable पार्ट होता है और यह part एक मोटर की मदद से घूमता रहता है इस मोटर को Spindle मोटर कहतें हैं।

        यह एक तरह का magnetic disk होती है जिसके surface को कई भागों में बांटा होता है , इसके ऊपर कई तरह के पथ बने होतें हैं जिनको Track कहा जाता है।  यह सारे track पूरी तरह से गोल आकर के होतें हैं।  इन्ही track पर read / write head move करता है।  यह track भी आगे कई भागों में बांटा होता है इसको sector  कहा जाता है।  इस सेक्टर पर magnetic concept से डाटा को रखा जाता है।  इसी तरह इसमें कई सारे Sector होतें हैं।  इन्ही Sectors को ग्रुप में Cluster कहा जाता है। Cluster का size operating system और hard disk के साइज पर depend करता है।

           यहां तक आप डाटा Defragmentation के वारे में काफी हद तक समझ गए होंगे। अब  हम बात करेंगे डाटा स्टोर कांसेप्ट की हमारे कंप्यूटर में जो ऑपरेटिंग सिस्टम होता है वो इसमें किसी भी डाटा को पूरी तरह स्पेस को कवर करते हुए हर एक Sector में हर एक sequence में रखती है लेकिन यह इस प्रोसेस को आगे बढ़ाने के लिए पुराने डाटा को डिलीट करना पड़ता है क्यूंकि जब पुरानाडाटा डिलीट होगा तो उसके बीच में उस डाटा को जितना भी sector allot किया गया है  वो खाली हो जायेगा और इसके बाद कोई भी डाटा write करने के बाद इस sector को भरने का काम करेगा और इसके बाद आगे कही और की sector को जिसके द्वारा आपके सिस्टम द्वारा किसी एक फाइल को भागों में बाँट बाँट कर sector में भरना पड़ता है जॉकी वजय से डाटा fragment होता है इसका मतलब के आपका डाटा बिखर गया है इसकी वजह से डाटा read और write दोनों के समय processing time ज्यादा लेने लगता है और सिस्टम slow हो जाता है।

        इसी problem से निपटने के लिए Disk Defragment को बनाया गया।  इसमें डाटा को अलग अलग भागों में से निकाल कर सभी अलग अलग types के फाइल्स को कर्म से sector को allot करने के बाद एक sequence में रख दिया जाता है इसका मतलब के आपके डाटा को defrag कर दिया है इस से processing time कम लगता है।


Disk Defragment के फायदे

  • यह आपके कंप्यूटर की performance को बढ़ाता है
  • आपके computer की हार्ड डिस्क की लाइफ बढ़ाता है
  • Booting भी fast होती ह
  • आपके डाटा का crash होने का खतरा भी काम होता है
  • इसके ज़रिये computer में resource कम use होने की वजह से लैपटॉप में बैटरी backup भी बढ़ता है

 

        हमे उम्मीद है क आपको हमारा यह आर्टिकल भी पसंद आया होगा।  अगर आपको हमारे किसी भी टेक्नोलॉजी पोस्ट के लिए कोई सवाल है तो आप कमेंट में पूछ सकते हो यर फिर अगर आप अपने पसंदीदा टॉपिक के वारे में जानकारी लेना चाहते हैं तो हमे उस टॉपिक का नाम कमेंट बॉक्स में mention कीजिये।  हम आपका टॉपिक जल्द ही अपलोड करेंगे।  हमारे ब्लॉग के साथ जुड़े रहने के लिए आपका धन्यबाद

 

 

 

 

 

 

 

 


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